Computer आखिर क्या है और क्या है इसका इतिहास ?

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कंप्यूटर क्या है?                          

Computer एक electronic device है जो संचालित तथा निर्देशों के अनुसार कार्य करता है जिसमें किसी भी data को प्राप्त करने संग्रहित करने की क्षमता होती है अर्थात

यह एक Electronic machine है| Computer का हिंदी नाम संगणक है | कंप्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज को कहा जाता है इसकी खोज सन 1946 ई में हुई थी | कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के computare शब्द से हुई जिसका हिंदी अर्थ है गणना ” परन्तु कुछ expert का कहना है कि computer शब्द की उत्पत्ति comput शब्द से हुई है जिसका अर्थ है गणना करने वाली मशीन दूसरे शब्दों में computer एक ऐसी मशीन है जो गणना करती है या गणनाओं को करने में हमारी सहायता करती है जैसे किसी भी दस्तावेजों को टाइप करने ईमेल भेजने गेम खेलने और वेब ब्राउज करने के लिए computer का उपयोग कर सकते है |आप स्प्रेड शीर्ट्स प्रस्तुतियों और यहां तक की विडियो बनाने के लिए इसका उपयोग भी करते है ।

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Computer के आविष्कार का प्रथम उद्देश्य भी यही था कि एक ऐसी मशीन बनाई जाए कि जो जटिल से जटिल गणनाओं को मनुष्य की अपेक्षा हजार गुना अधिक तेजी से सम्पन्न कर सके | कंप्यूटर को कई भागों में बांटा जा सकता है | 

Computer कितने प्रकार के होते है ?

कंप्यूटर को मुख्यता 3 प्रकार के भागों में बांटा गया है –

Analog कंप्यूटर एप्लिकेशन के आधार पर, Digital computer उद्देश्य के आधार पर और तीसरा Hybrid computer आकार और क्षमता के आधार पर | इनमें से डिजिटल कंप्यूटर का प्रयोग डेटा प्रोसेसिंग में किया जाता है |यह 0 से 1 के मान द्वारा डेटा संग्रहित करता है इसे चार भागों में विभाजित किया गया है जैसे कि Micro computer ,Mini Computer, Mainframe Computer ,Super Computer होते है |

Analog computer क्या होता है ?

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एनलॉगकंप्यूटर का मान निश्चित नहीं होता है ,यह बदलता रहता है पहले डाटा को एनलॉग में परिवर्तित करता है | यह इनपुट के रूप में आंकड़ो की बजाय कोई गुणवाचक सूचना लेता है और आउटपुट भी उसी रूप में करता है या हम कह सकते है कि Analog computer तापमान ,दबाव,आयतन,वोल्टेज,प्रतिरोध,गति,त्वरण,लम्बाई,चौड़ाई,आदि को मापकर उनके परिणामो को अंको में परिवर्तित कर सकते है| स्लाइड रूल और स्पीडोमीटर इनके प्रमुख उदाहरण है इस प्रकार के computer कुछ भी स्टोर करने के लिए भौतिक राशियों का प्रयोग करते हैं तथा डाटा को स्टोर continues भौतिक राशियों के रूप में किया जाता है यह Digital computer से भिन्न होता है  Analog computet symbolic भाषा का उपयोग करता है Analog computer की शुद्धता 99.99%,होती है ये computer Analog संकेतों के आधार पर कार्य करते है अतः इनका प्रयोग वैज्ञानिकों और चिकित्सा क्षेत्र में अधिक किया जाता है ।          

Hybrid computer क्या है?                                  

Hybrid computer वे Computer  होते है जो Analog computer और Digital computer दोनों की विशेषताएँ होती है इन कंप्यूटर का हार्डवेयर बहुत जटिल होता है।पहला डेस्कटॉप Hybrid computer कंप्यूटिंग सिस्टम Hycomp 250 tha जिसे 1961 में पैकर्ड बेल द्वारा जारी किया गया था | Hybrid computer का प्रयोग तापमान और लम्बाई मापन में किया जाता है | Hybrid computer एक Digital computer है जो Analog signal को स्वीकार करता है उन्हें डिजिटल में परिवर्तित करता है और उन्हें डिजिटल रूप में संसाधित करता है ।               

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Digital computer क्या होते है?             

Digital computer वे कंप्यूटर होते हैं जो सभी डाटा को डिजिट के रूप में अर्थात 0 और 1 के रूप में कार्य करते हैं। computer 0 1 अर्थात बायनरी डिजिट को सभी गणनाएं और ऑपरेशन करने के लिए काम में लेते हैं। Digital computer वह कंप्यूटर होता है जो अंको कि गणना करता है अर्थात डिजिटल कंप्यूटर वे कंप्यूटर है जो व्यापार को चलाते है Digital computer की शुद्धता 100% होती है | Digital computer भी कई प्रकार के होते हैं-                                   

1. Micro computer

Micro computer का अर्थ है -छोटा या” सूक्ष्म “अतः यह कंप्यूटर छोटे परन्तु महत्वपूर्ण कार्यों को पूर्ण करने में सक्षम एक यंत्र है इन कम्प्यूटरों का प्रयोग अधिकतर शिक्षा, संस्थानों, घरों दफ्तरों,कार्यालयों आदि में किया जाता है Microcomputer भी पाँच प्रकार के होते हैं –                

a. Personal computer                                     

पर्सनल कंप्यूटर का संक्षिप्त नाम (PC) है इसमें अन्य computer की तरह बड़ी इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस प्रयोग नहीं की जाती है और इनकी (Memory storage) संग्रहन क्षमता कम होती है और इसे बिजली से चलाया जाता है |पहला Micro computer 1974 में बनाया गया है जिसका नाम Atair 8800 था।                                               

b. Laptop computer                                       

यह लाने ले जाने में सुविधाजनक तथा आकार में छोटा होता है इसमें डिस्प्ले यूनिट के स्थान पर( LCD) की रंगीन डिस्प्ले यूनिट होती है यह एक बैटरी की सहायता से कार्य करता है Laptop computer जिसे कभी -कभी मैन्युफेक्चर द्वारा नोटबुक कंप्यूटर भी कहा जाता है एक बैटरी या (AC) power Personal computer है जिसे आसानी से टांसपोर्ट किया जा सकता है और आसानी से कोई भी स्थान जैसे एयरलाइनों,पुस्तकालयों,अस्थायी कार्यालयों और मीटिंग में आसानी से उपयोग किया जा सकता है |              

c. Palmtop computer                                       

Technology के विकास ने कंप्यूटर हमारी मेज से उठाकर हमारी हथेली में दे दिया। इसी दिशा में Palmtop computer का विकास किया गया है। ये अत्यधिक छोटे परन्तु विभिन्न कार्य ,जैसे संदेश भेजना तथा प्राप्त करना , डाटा का संग्रहण करना आदि कार्यों को करने में पूर्णतया सक्षम होते हैं ये बैटरी की सहायता से कार्य करते हैं।          

d. Personal Home computer                          

इस प्रकार के कंप्यूटर में उसी कंपनी के सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा वह निर्मित है। इसमें विडियो गेम भी खेले जा सकते हैं।                                  

e. Education Microcomputer                       

ये कंप्यूटर शैक्षिक संस्थानों में कार्य मे लाये जाते हैं ये कीमत में सस्ते होते हैं। आजकल शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर ने बहुत ही बड़ा योगदान दिया है|

2. Mini computer                                           

Mini computer, Micro computer से बड़ा लेकिन Super computer से छोटा होता है | इन कम्प्यूटरों से 20 से 30 टर्मिनल पर एक साथ काम किया जा सकता है | इनका प्रयोग बैंको,रेलवे,आरक्षण केन्द्र,स्टॉक एक्सचेंज आदि स्थानों पर होता है इनका निर्माण  DEC,HP,DBM कम्पनी द्वारा किया जाता हैं |                   

3. Mainframe computer                                      

यह कंप्यूटर Micro और Mini computer की तुलना में अधिक शाक्तिशाली होता है। यह आकार में एक अलमारी के बराबर होता है। एक से अधिक नगरों में स्थित कंप्यूटर प्रणालियों को आपस में जोड़ने के लिए एक प्रणाली के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है इसे Wide Area Networking -WAN कहते है इसकी गति तारों की संख्या पर निर्भर रहती है।                          

4.Super computer

सुपर कंप्यूटर सभी कम्प्यूटरों से अधिक शाक्तिशाली व कीमती है इसका मूल्य लगभग 1अरब 15 करोड़ रुपये तक होता है यह एक सेकंड में अरबों संख्याओं की गणना कर सकता है सन 1989ई० में भारत में पहले सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया गया। इसका प्रयोग अंतरिक्ष,मौसम और भौगोलिक ज्ञान के लिए किया जाता है ।

Computer का इतिहास (History of computer)

सम्भवतः मानव में गणितीय कार्यों के लिए गणना युक्तियों का आविष्कार करने तथा उनका प्रयोग करने की जन्मजात इच्छा रही है। यही कारण है कि प्राचीन काल से मानव सदा ऐसी युक्तियों की खोज की दिशा में अग्रसर रहा है,जो उसे गणना करने( calculating) और प्राप्त सूचनाओं को प्रोसेस करने  (processing) में सहायता कर सकें। पहले गणना करने वाली मशीने मेकेनिकल या मेनुअल युक्तियां थी। जिन्हें हाथ से चलाया जाता था।

अबेकस पहली गणना करने वाली मशीन थी। अबेकस पहली गणन युक्ति थी। इसका आविष्कार चीनियों ने आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व किया था। यह एक मेकेनिकल प्रणाली थी।अबेसक के ढ़ाचे में सीधी खड़ी छड़ो की पंक्तिया होती है जिनमें लकड़ी के मनके पिरोये जाते हैं। ये मनके आसानी से इन छड़ो में सरकाए जा सकते हैं इसके साथ ही एक छड़ इस फ्रेम को दो भागों में बाटती है जिन्हें क्रमशः ऊपरी भाग और निम्न भाग कहा जाता है। अबेकस की सहायता से साधारण गणनाएँ , जैसे जमा करना अथवा धटना आदि की जा सकती हैं। अबेकस के तीन संस्करण अत्यधिक लोकप्रिय थे- चीनी,जापानी और रूसी।

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सन 1642 में एक फ्रेंच गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने एक गणना करने वाली मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन के द्वारा जमा और घाटा जैसी गणितीय संक्रियाएँ शीध्रता से की जा सकती थी। इसे  पास्कल लाइन कहा जाता है। 

नेपियर की हड्डियां मेकेनिकल कैलकुलेटर है,जिसका आविष्कार सन 1662 में एक स्कॉटिश गणितज्ञ जॉन नेपियर द्वारा किया गया था। मशीन अंको वाली राडो का एक समूह है,जिसका प्रयोग गुणा करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक सिरा 1 अंक से 9 अंक तक शुरू होता है और इनका गुणनफल इनके नीचे कॉलमों में दिया होता है। राडो को धुमाने के बाद अंको को संलग्न समतल वर्गों में डाल कर उसका उत्तर प्राप्त हो सकता है।1671 में लीबनिटज ने पास्कल के जमा  यंत्र  में सुधार किया और उसे बेहतर बनाया। उसने इस मशीन को गुणा करने और भाग करने के योग्य बनाया। इस मशीन का नाम लिबनिटज कैलकुलेटर दिया ।

सन 1823 एक अंग्रेजी गणितज्ञ कि चार्ल्स बैबेज ने गणितीय सूचियों की गणना करने के लिए एक मशीन बनाई । मशीन को डिफ्रेंस इंजन नाम दिया गया था और इसका प्रयोग मुख्य रूप से गणितीय सूचियों के लिए किया जाता था यह अधिक पुर्जों से बनी मशीन है इसमें पहिये के दाँत (Cogs) और लीवर लगे हुए थे चार्ल्स ने स्वयं इसका वर्णन किया था। दोबारा 1834 के शुरू में बैबेज के मस्तिष्क में एक अच्छी मशीन डिजाइन करने की योजना आई इस बार वह एक बहुत अच्छी मशीन बनाना चाहता था, जो गणितीय सूचियों की गणना करने के अतिरिक्त जटिल समस्याओं को सुलझा सके। उसने ऐसी एक मशीन की योजना बनाई और उसे एनालेटिकल इंजन का नाम दिया। इसे चलाने के लिए एक भाप के इंजन की आवश्कता महसूस की गई ।

इसमे एक आधुनिक को। कंप्यूटर के सभी भाग थे परंतु यह कभी नही बना। और चार्ल्स बैबेज अपनी मशीन को कार्यरूप नही दे सका, परन्तु उसे ‘कम्प्यूटरों का पिता ‘कहा जाता है क्योंकि आधुनिक  कंप्यूटर के  आधारभूत भाग उसके विचारों से निकले थे। काउंट की पत्नी लेडी एडी अगस्त चार्ल्स बैबेज की अच्छी मित्र थी जिसके कारण वह पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर मानी गई और अभी भी सम्माननिय है। उनके नाम पर एक कंप्यूटर भाषा का नाम भी है।

अमेरिका का एक साख्यिकी विशेषज्ञ हरमन होलेरिथ 1880 की अमेरिकी जनगणना कार्य का इंचार्ज था प्रत्येक व्यक्ति की जनगणना लगभग आठ वर्षों  तक चलती थी। इसलिए होलेरिथ ने एक मशीन बनाने की योजना बनाई जो तीव्रता से गणना कर सकती थी उसने मशीन का आविष्कार किया और उसे Tabulating Machine नाम दिया इस शब्द का अभिप्राय है गणना करना उसकी मशीन कार्डों से चलती थी जिसमें पंच छिद्र थे ये छिद्र इस बात का प्रतीक थे कि उनमें आंकड़े या अंक मौजूद हैं। होलेरिथ ने मशीन का प्रयोग करके जनगणना डाटा प्रोसेसिंग को एक चौथाई समय में ही सम्पन्न कर दिया। इस तरह पंचकार्डो  का प्रयोग अब भी किया जाता है,जो सैकड़ों वर्षों पहले विकसित हुए थे।

कंप्यूटर की शुरुआत 

अमेरिका के हॉवर्ड विश्वविद्यालय में गणितज्ञ के रूप में कार्य करने वाले( Haward Aiken) ने बैबेज की( Analytical Engine) की आधुनिक व्याख्या करने का विचार किया उन्होंने मशीन पर लगातार पांच वर्षों तक कार्य किया यह मशीन ASCC  मशीन के नाम से प्रसिद्ध हुई,जिसका अर्थ है-ऑटोमेटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कैलकुलेटर यह पहला पूर्ण तरह से स्वचालित कंप्यूटर है जिसमें बिना किसी हाथ के प्रयोग की बाधा के लगातार गणना करने की क्षमता है। यह एक जटिल आकार में बड़ी लगभग 8,00,000 पुर्जो और 500 मील लंबी तारों वाली मशीन है।

इस विश्वविद्यालय में मूरे स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के जे० प्रेसपर एककर्ट और जॉन माकले ने वाल्वो का प्रयोग करके पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर विकसित किया।ENIAC योजना कार्य से जुड़े एक गणितज्ञ जॉन वॉन न्यूमेन ने प्रोग्रामो परिणामो और आंकड़ो को कंप्यूटर की मेंन मैमोरी में एकत्रित करने के लिए विचार की सिफारिश की। यह प्रोग्राम एकत्रित करने की परिमार्जित अवधारणा थी,जिसने आज के कंप्यूटर के डिजाइन बनाने की नींव रखी।

कंप्यूटर की पीढ़िया (Generations of Computer in Hindi)

कम्प्यूटरों को इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के प्रयोग के आधार पर पांच पीढ़ियों में बांटा गया है- 

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प्रथम पीढ़ी 

प्रथम पीढ़ी की शुरुआत 1945 में हुई है। जिन कम्प्यूटरों में उनके आरंभिक इलेक्ट्रॉनिक यंत्रो के रूप में वाल्वों का प्रयोग हुआ, उन्हें कम्प्यूटरों की प्रथम पीढ़ी कहा जाता है।

द्वितीय पीढ़ी 

कम्प्यूटरों की दूसरी पीढ़ी ट्रांजिस्टर पर आधारित थी वे कम विधुत ऊर्जा खर्च करने वाली थी।इसकी शुरुआत 1954 से 1964 तक मानी जाती है।

तृतीय पीढ़ी 

इसके पश्चात दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरो से अधिक छोटे और बहुत अधिक तेज कंप्यूटरो के युग का आरंभ हुआ, जिन्हें तीसरी पीढ़ी 1956 में  कंप्यूटरो की सज्ञा दी गई।

चतुर्थ पीढ़ी 

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर में बड़ी मात्रा में सर्किटों का प्रयोग किया गया। इन कम्प्यूटरों में एक -दूसरे के नजदीक बड़ी मात्रा में यंत्र लगाए गए।

यह संदेशों को कंप्यूटर के एक भाग तक जाने की यात्रा को तीव्र बनाता है ये कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में अधिक तीव्र है। आज हम चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर प्रयोग कर रहे हैं।

शोधकर्ता अब पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ये वे मशीने होंगी,जिनमें कृत्रिम बुद्धि होगी। इन कंप्यूटर में एकत्रित डाटा का प्रयोग सामान्य विचारो को पढ़ने ,ज्ञान एकत्रित करने अनुमान लगाने और कठिनाईयो को सुलझाने के लिए किया जाएगा। दूसरे शब्दों में इनमें मानव की तरह सोचने की क्षमता होगी।

कंप्यूटर में Input और Output Device क्या होती हैं?      

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इनपुट और आउटपुट उपकरण कंप्यूटर और मानव के सम्पर्क की सुविधा प्रदान करते हैं | इनपुट डिवाइस वो होते हैं जिसमे कुछ डाटा कंप्यूटर में जाता है जैसे  की-बोर्ड हम की -बोर्ड पर कुछ भी टाइप करते है फिर वो डाटा कंप्यूटर में जाता है और फिर हमें आउटपुट मॉनिटर पर दिखाई देता है और फिर कंप्यूटर को बताया फिर कंप्यूटर ने प्रोसेसिंग की तो जिस डिवाइस से हमें कंप्यूटर को बताना होता है बाहर से वो इनपुट डिवाइस होते हैं। इनपुट यूनिट डाटा और निर्देशों को बाहरी कोड 0 और 1 में परिवर्तित करके कंप्यूटर के समझने योग्य बनाती है और इनपुट डिवाइस के लिए अन्य बहुत सी इनपुट डिवाइसेज भी उपलब्ध रहती है जैसे – माउस , जॉयस्टिक ,Trackball , Light Pen , Scanner ,Digital Camera आदि |

इनपुट डिवाइस के रूप में Microphone भी प्रयुक्त किए जा सकते है जिसमें अपनी आवाज कंप्यूटर में प्रविष्ट करा सकते है इनपुट डिवाइस बाह्य डाटा व निर्देशों को कंप्यूटर के विभिन्न आन्तरिक भागों में  पहुँचता है ।

1.स्कैनर Scanner 

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स्कैनर का आविष्कार लगभग सन 1950 के दशक में हुआ था |इनके द्वारा चित्रों अथवा कागज पर छपे अक्षरों को  कंप्यूटर की मेमोरी तक पहुँचाया जाता है और यह चित्रों अथवा अक्षरों को ठीक उसी रूप में कंप्यूटर तक पहुंचाता है यह एक पेपर शीट पर बने हुए डाटा की इमेज स्कैनर पर उसे बाइनरी सिग्नल में परिवर्तित कर कंप्यूटर को इनपुट दे देता है जहाँ पर वह इमेज एक फाइल के रूप में कंप्यूटर में स्मृति में स्टोर हो जाती है सामान्यता स्कैनर तीन प्रकार के होते है – 

(क) हैंड हैल्ड स्कैनर 

यह एक छोटी युक्ति है जिसे आप पेपर शीट के डाटा को स्कैन कर सकते है यह सस्ता एवं आकार में छोटा स्कैनर है।

(ख) पेज स्कैनर

यह एक बड़े आकार की डेस्कटॉप युक्ति जो प्रिन्टर की भांति कार्य करता है इसमें आपको स्कैन किया जाने वाला पेपर ऐसे लगाना होगा जैसे हम प्रिन्टर में पेपर लगाते है। 

(ग)  समतल स्कैनर 

यह गुणवत्ता की दृष्टि में सर्वात्तम स्कैनर है एवं सर्वाधिक प्रयोग में आता है किंतु यह शेष दोंनो स्कैनरों से महँगा है और इसमें स्कैन किए गए चित्र को स्टोर करने के लिए बहुत अधिक मेमोरी की आवश्यकता होती है।

2.ऑप्टिकल करेक्टर रीडर (OCR)

यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें पहले से करेक्टर्स के परस्पर फर्क को देखकर (OCR) मानक करेक्टर्स से पहचान की जाती है (OCR) उपकरण टाइपराइटर छपे हुए होते हैं।OCR की सामान्य गति 1500 से 3000 अक्षर प्रति सेकण्ड होती है।

3.मैग्नेटिक इंक करेक्टर रिकॉग्नीशन (MICR)

यह एक ऐसी बैंकिग तकनीक है जिसमें अधिक संख्या में चेक जांचे जाते है MICR तकनीक में चेक पर विशेष चुम्बकीय स्याही द्वारा करेक्टर छपे होते है |

4.माइक तथा माइक्रो फोन 

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माइक्रो तथा माइक्रोफोन ऐसी इनपुट युक्तियां है जो आवाज तथा रूपी डाटा को डिजिटल सिग्नल में बदलकर कंप्यूटर तक पहुँचती है माइक द्वारा आप कंप्यूटर स्मृति में अपनी आवाज कोई भी गीत संदेश या ध्वनि कुछ भी रिकॉर्ड अथवा स्टोर कर सकते है यह इनपुट कराई गई आवाज रूपी डाटा एक फाइल के रूप में स्टोर हो जाता है और अगर आपके कंप्यूटर में स्पीकर सिस्टम या हैड फोन सिस्टम है तो आप उस फाइल को  किर्यान्वित  कर  उसमें स्टोर डाटा सुन भी सकते है।

5.वेब अथवा डिजिटल कैमरा

वेब कैमरा डिजिटल कैमरे की भांति कार्य करने वाली डाटा इनपुट युक्ति है इसका प्रयोग सामान्यतः वीडियो कांफ्रेंस में किया जाता है 

प्वाइंटर डिवाइसेस  क्या होते है ?

1.Mouse

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यह आकार में चूहे के समान होता है इसमें दो या तीन बटन होते है। माउस सी०पी०यू० से सम्बद्ध होता है इसमें एक बॉल होती है जब माउस को किसी समतल धरातल पर इधर -उधर सरकाते हैं तो माउस की बॉल भी धूमती है और यह बॉल माउस के अन्दर निहित संवेदको को भी गतिशील करती है और इसके ऊपर स्थित दोनों बटन विभिन्न प्रकार के साफ्टवेयर के साथ अनेक प्रकार की क्रियाएँ करते है और आजकल ऐसे माउस का प्रयोग होने लगा है जिसमें बॉल की जगह लाइट निकलती है और प्रकाश की सहायता से वाले इन माउस को ऑप्टिकल माउस कहते है।

2.जॉयस्टिक 

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इस यंत्र में दो बटन तथा एक हिलाई जा सकने योग्य  हैण्डल होते है इसका प्रयोग प्रायः कंप्यूटर गेम्स में होता है इसके लिए कंप्यूटर में एक जॉयस्टिक एडेप्टर लगाना पड़ता है।

3.लाइट पेन 

इसका प्रयोग डिजाइन और इंजीनियर करते हैं इसके द्वारा डिजाइन बनाने के लिए एक विशेष स्क्रीन प्रयुक्ति होती है तथा डाटा  को की -बोर्ड के द्वारा कंप्यूटर तक मेमोरी पहुँचाया जाता है। 

Output Unit क्या होते हैं ?

आउटपुट यूनिट टेलीविजन की भांति एक स्क्रीन होती है जिसे मॉनिटर कहते है इसके अतिरिक्त प्रिंटर भी आउटपुट यूनिट के रूप में प्रयुक्त होता है यह ऐसी यूनिट है आउटपुट यूनिट के लिए मुख्य आउटपुट डिवाइस स्क्रीन या मॉनिटर होती है मॉनिटर डिवाइस भी कंप्यूटर से प्राप्त आउटपुट को हमें प्रस्तुत करती है आउटपुट को मॉनिटर पर या पेपर पर देखा जा सकता है यह आउटपुट उपकरण के उदाहरण हैं। 

1. मॉनिटर 

इसे संक्षेप में (VDU)भी कहते है यह देखने में टेलीविजन की भांति होता है की-बोर्ड द्वारा इनपुट किये गए निर्देशों अथवा अक्षरों को इस पर दिखाता है। ये दो प्रकार के होते है।

( a)रंगीन मॉनिटर ( b) श्वेत -श्याम मॉनिटर 

2. प्रिंटर

यह एक मशीन है | मॉनिटर पर दिखाई देने वाले डाटा को प्रिंटर के द्वारा ही कागज पर प्रिंट किया जाता है इसके भी अनेक प्रकार होते हैं –

(क) डेजी व्हील  प्रिन्टर (ख)थिम्बल प्रिंटर (ग) डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (घ) चेन एवं ड्रम प्रिंटर( च) इंकजेट प्रिंटर (घ) लेजर प्रिंटर।

1.इंक जेट प्रिंटर 

यह नान इम्पेक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है जिसमें स्याही की बॉटल रखी जाती है जिसमें 64 छोटे नोजल होते है इसके प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी होती है।

2.इम्पेक्ट प्रिंटर

यह एक टाइपराइटर की तरह एक ओर इंक रिबन पर दबाव डालकर प्रिंट करता है।

3.लेजर प्रिंटर

यह उच्च गति वाला नॉन इम्पेक्ट पेज प्रिंटर है लेजर बीम से प्रकाशीय ड्रम पर आवश्यक विधुतीय आकृतियां बनाई जाती है। यह टोनर को ड्रम पर बनाई आकृति के विपरीत आवेशित रहता है जो स्याही को कागज पर चिपका देता है इसमें प्रति कॉपी खर्च कम पड़ता है।

4. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर 

यह धीमी गति का इम्पेक्ट प्रिंटर है इसमें एक प्रिंट हेड होता है जो बाये से दाये तथा दाये से बाये धूमता है इसका प्रारम्भिक मूल्य और प्रति कॉपी खर्च कम होता है परंतु प्रिंट गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है।

5. नॉन इम्पेक्ट प्रिंटर

इसमें रिबन नही रहता तथा विधुत या रासायनिक विधि से स्याही का छिड़काव का प्रिंट प्राप्त किया जाता है इसमें काला तथा रंगीन दोनों प्रकार के आउटपुट प्राप्त किए जा सकते है और इसमें किसी भी प्रकार का प्रिंट प्राप्त किया जा सकता है। 

Operating System क्या है ? जाने विस्तार से हिंदी में |

Computer में पावर पॉइंट क्या होता है?

पावर पॉइंट को ऐसे प्रोग्राम के रूप में परिभाषित किया जा सकता है इसमें प्रत्येक स्लाइड एक संक्षिप्त विषय को पूरा करती है आप अपनी स्लाइड को छाप भी सकते है आप अपने कंप्यूटर LCD डिस्प्ले से जोड़कर ऐसा कर सकते है यह तस्वीर को कई गुना बड़ा करके उसे आउटपुट के रूप में स्क्रीन पर दिखाता है।

पॉवर पॉइंट में चित्रो को कैसे जोड़ा जाता है?

सामान्यता कोई भी प्रस्तुतिकरण चित्रो के बिना पूरा नहीं होता है स्लाइडों पर विभिन्न प्रकार के चित्र सम्मिलित करना आवश्यक होता है पावर पॉइंट में हमें यह सुविधा मिलती है कि हम केवल एम एस -ऑफिस के सभी प्रोग्रामो बल्कि बाहर के प्रमुख पैकेजों जैसे -फोटोपेन्ट, फोटोशॉप,पेंट आदि द्वारा तैयार किये गए कि चित्रों आदि सामग्री का अपने प्रस्तुतिकरण में शामिल कर सकते है। 

 फाइलों से चित्र को कैसे जोड़ा जाता है?

यदि आप किसी फाइल पर में उपलब्ध कोई बाहरी चित्र अपनी स्लाइड पर जोड़ना चाहते हैं तो उसके बहुत से प्रयोग है-

  1. अपने उपलब्ध प्रस्तुतिकरण की उस स्लाइड को चुनिए जिसमें आप स्लाइड जोड़ना चाहते हैं ।
  2. Insert मेन्यू के Picture आदेश पर माउस पॉइंटर लाइए इससे इसका झरना या सब मेन्यू खुल जाएगा 
  3. इस झरना मेन्यू में From File विकल्प को किल्क कीजिए जिससे आपकी स्क्रीन पर इंसर्ट पिक्चर का डायलॉग बॉक्स खुल जाएगा।
  4. इस डायलॉग बॉक्स में आप किसी भी फोल्डर की किसी भी फाइल में भरा हुआ किसी चित्र खोज सकते हैं और मिल जाने पर Insert बटन किल्क करिये जिससे आपका चुना हुआ चित्र आपकी स्लाइड पर जुड़ जाएगा और इस चित्र के चारो ओर बने हुए हैंडिलो की सहायता आप अपने मनचाहे आकार में ढालकर अपनी स्लाइड पर किसी भी स्थान पर लगा सकते हैं। 

कंप्यूटर में नेटवर्किंग क्या है ?

जब दो से अधिक computers को आपस में जोड़ दिया जाता है तो इस प्रकार की संरचना को computer Network कहा जाता है| नेटवर्किंग की सहायता से एक यूजर एक समय में एक से अधिक कंप्यूटर पर कार्य कर सकता है| जैसे -रेलवे पर आरक्षण के लिए computers को आपस में जोड़ दिया जाता है| इस प्रकार कंप्यूटर नेटवर्किंग की सहायता से सूचनाओं को एक दूसरे कंप्यूटर पर कंप्यूटर तक बहुत ही जल्दी भेजा जा सकता है आजकल कार्यालयों में एक से अधिक कंप्यूटर होते है और जिसे नेटवर्क की सहायता से आपस में जोड़ा जाता है| इस प्रकार एक यूजर से दूसरे यूजर को सूचनाएं बड़ी सरलता से प्रदान कर सकता है और इस नेटवर्किंग को कार्य को लाने के लिए निम्न हार्ड वेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकता पड़ती है। आजकल इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है क्योंकि इसका प्रयोग निम्न है-

Modem

मॉडेम , नेटवर्किंग में प्रयोग किया जाने वाला एक मुख्य हार्डवेयर है इसका अर्थ (Modulator Demodulator) है जैसा कि आप लोंगो को पता है कि कंप्यूटर में डाटा (Digital System) में प्रयोग किया जाता है जबकि तारो अथवा टेलीविजन लाइनों में डेटा एनालॉग सिस्टम में प्रवाहित किया जाता है | Modem एक ऐसा हार्डवेयर है, जो Digital Signals को एनालॉग में बदलता है और एनालॉग सिग्नल को Digital Signal में बदल देता है। हम अपने कंप्यूटर को मॉडम के द्वारा इन्टरनेट से जोड़ सकते है|

केबिल

नेटवर्क में कंप्यूटर को आपस मे जोड़ने के लिए तारो की आवश्यकता होती है और इन्ही तारो को अंग्रेजी में केबिल कहा जाता है।केविल में  डेटा बसों की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है। 

ऑपरेटिंग सिस्टम 

नेटवर्किंग को उपयोग में लाने के लिए एक ऐसा साफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम होना आवश्यक होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्राम का एक ऐसा व्यवस्थित समूह क्रिया  कलापो को नियंत्रित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर उन सभी प्रोग्रामों को चालू करता है जो इस नेटवर्क का संचालन कर सके। यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के विभिन्न अंगों को निर्देश देता है।ऑपरेटिंग सिस्टम को नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम NOS कहते है।

सर्वर

सर्वर , नेटवर्किंग में सबसे मुख्य भूमिका है सर्वर ही एक ऐसा कंप्यूटर जिसमें नेटवर्क Operating System का होना आवश्यक होता है और इस कंप्यूटर से अन्य Computers का जुड़ा होना भी आवश्यक होता है।

वेब पेज खोलना 

इंटरनेट वेब पेज द्वारा अनेक महत्वपूर्ण जानकारी देता है वेब पेज को वेब ब्राउज़र की मदद से देखा जा सकता है। जोकि हम मॉडेम कि सहायता से बड़ी आसानी से कर सकते हैं |

ई -मेल 

इंटरनेट के जरिए हम एक मिनट में मेल भेज तथा प्राप्त कर सकते है और सामान्यता मेल से इसका खर्च बहुत ही कम होता है कोई भी व्यक्ति अपने ई-मेल दुनिया के किसी भी जगह में देख सकता है हम इंटरनेट के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक ग्रीटिंग कार्ड भी भेज सकते हैं इन सब सुविधाओं के लिए हमें हमारे स्वयं के E-mail address की जरूरत होती है। 

LOGO प्रोग्रामिंग 

लोगो एक कंप्यूटर भाषा है जो खासकर बच्चों के लिए बनाया गया है यह एक तरह की भाषा है जिससे हम कंप्यूटर को आदेश एवं निर्देश देते हैं लोगो भाषा को 1967 में सेमूर पेपर्ट ने बनाया था लोगो के प्रयोग से हम स्क्रीन पर चित्र और आकार बनाते हैं कंप्यूटर पर LOGO आरम्भ करने के लिए command prompt में LOGO टाइप करना पड़ता है LOGO टाइप करने पर हमारे कंप्यूटर स्क्रीन पर निम्न आकार दिखाएगा स्क्रीन दो भागों में बंटी होती है ऊपरी भाग पर एक Turtle प्रकट होगा जिसे Graphic स्क्रीन कहते हैं और निचले भाग में प्रश्न चिन्ह होता है जहाँ हम LOGO Command टाइप करते हैं और Turtle आज्ञानुसार क्षेत्र पर कार्य करता है |

Turtle क्या है ?

LOGO Load करने पर एक छोटा त्रिकोण आकार स्क्रीन पर प्रकट होता है इस छोटे त्रिकोण आकार को turtle कहते है। याद हमें स्क्रीन पर ड्रॉइंग पेंसिल की स्थिति दिखाता है Turtle के सामने के बिंदु इसकी दिशा दर्शाते हैं स्क्रीन के मध्य में जब turtle पहली बार प्रकट होता है इसे turtle का घर कहा जाता है।

आपने क्या सीखा –

दोस्तों इस लेख में हमने आपको यह बताने की कोशिश की है कि computer क्या है और इससे सम्बन्धित सभी प्रकार की जानकारी दी | अगर आपको किसी भी प्रकार का संदेह है इस लेख को लेकर तो आप हमें कमेंट जरुर करें | हम आपकी पूरी मदद करेंगे |

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Pankaj Yadav
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नमस्कार दोस्तों  ! मै Pankaj Yadav , HindiTarget.com का Owner | मै एक Web Developer हूँ | मै इस ब्लॉग के माध्यम से नयी नयी जानकारियां लाता रहता हूँ। कृपया आप हमे SUPPORT करे ताकि हम आपसे इसी तरह जुड़े रहें।

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