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उधम सिंह का जीवन परिचय (Udham Singh Biography in hindi)-
उधम सिंह का जीवन परिचय – की वह कौन थे ,जाति,कहानी,इनकी मृत्यु कैसे हुई शहीद दिवस,धर्म परिवार और फ़िल्म(Shaheed Udham Singh Biography in hindi) (Biopic Movie,Vicky kaushal,Caste, Religion,Kaun the, Story ,Death, Shahid Diwas, Family)-
दोस्तों आज हम आप सभी को उधम सिंह के बारे ने बताएंगे तो चलिए जानते हैं।
उधम सिंह एक बहुत ही उदार प्रकृति के और क्रांतिकारी स्वतंत्रता के सेनानी थे। ये अपने देश से बहुत प्रेम करते थे और अंग्रेजों से घृणा। ये प्रतिशोध के चलते ही पंजाब के पूर्व राज्यपाल माइकल ओ ड्राइवर की हत्या की थी।क्योंकि उधम सिंह ने दिल को दलह देने वाली घटना 13 अप्रैल 1919 को 1000 से भी अधिक लोगों की शव की यात्रा देख ली थी और तभी से उधम जी को बहुत गहरी देस पहुंची फिर इन्होंने अपने निर्दोष देशवासियों की मौत का बदला लेने के लिए संकल्प किया। इसके बाद वह शहीद -ए आजम सरदार उधम सिंह के नाम से भारत सहित विदेशों में प्रशिद्ध हो गए थे। तो चलिए जानते हैं इन क्रांतिकारी महान सेनानी के बारे में।
उधम सिंह का जीवन परिचय(Udham singh Biography in hindi)-
पूरा नाम Full Name | शहीद-ए आजम सरदार उधम सिंह |
माता- पिता Father / Mother | नारायण कौर और नरेन कौर |
जन्म दिन (Birth Day) | 26 दिसम्बर 1899 |
जन्म स्थान Birth Place | पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम क्षेत्र में हुआ |
पेशा Profession | क्रांतिकारी |
राजनीतिक पार्टी Political Party | ग़दर पार्टी, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन |
राष्ट्रीयता Nationality | भारतीय |
उम्र Age | 40 वर्ष |
धर्म Religion | हिन्दू |
वंश। Genus | कंबोज |
वैवाहिक स्थिति Marital Status | अविवाहित |
राशि Zodiac | |
पढ़ाई | 1918 में मैट्रिक |
उधम सिंह का जन्म,परिवार एवं प्रारंभिक जीवन (Udham Singh Birth Family and Early Life)-
दोस्तों चलिए जानते हैं कि उधम सिंह का प्रारंभिक जीवन कैसा था।
उधम सिंह का 26 दिसम्बर 1899 में पंजाब के संगरूर जिले सुनाम में हुआ था। उस समय लोग उनको शेर सिंह के नाम से जानते थे। इनके पिता का नाम सरदार तेहाल सिंह था जो जम्मू उपली गांव के रेलवे क्रासिंग में वाचमैन का काम करते थे।इनकी माता नारायण कौर उर्फ नरेन कौर एक घर की ग्रहणी थी। उधम सिंह दो भाई थे।एक उधम सिंह और दूसरे मुक्ता सिंह थे जो दोनों अपने माता के साथ रहते थे।पर दुर्भाग्य वस जल्द ही इन दोनों पे मां का साया हट गया था। उधम सिंह के पिता की मौत 1901 में हुई थी और पिता की मृत्यु के 6 वर्ष बाद इनकी माता की भी मृत्यु हो गई थी।ऐसे दुखत परिस्थितियों में दोनों भाइयों को अनाथयाल का सहारा लेना पड़ा।उधम सिंह और उनके भाई शिक्षा ग्रहण करने के लिए उन्होंने अमृतसर के अनाथयाल में शरण ली। लेकिन उधम सिंह के भाई का भी साथ ज्यादा दिनों तक नही उनकी भी मृत्यु 1917 में ही हो गई। अब उधम सिंह पंजाब में तीव्र राजनीति में मची उथल-पुथल में अकेले रह गए थे। यह जितनी भी गतिविधियां हो रही थी उधम सिंह इन सभी गतिविधियों से अच्छी तरह से रूबरू थे। उधम सिंह ने अपनी मेट्रिक की पढ़ाई 1918 में भी पूरी कर ली थी। इसके बाद उधम सिंह ने खालसा अनाथयाल को 1919 में छोड़ दिया।
उधम सिंह जी की विचारधारा-
उधम सिंह एक बहुत ही उदार तथा क्रांतिकारी व्यक्ति थे। शहीद भगत सिंह द्वारा किये गए अपने देशों के प्रति क्रांतिकारी और उनके समूहों से उधम सिंह बहुत ही प्रभावित थे। जब उधम सिंह 1935 में जम्मू कश्मीर में थे तो उनको भगत सिंह की तस्वीर के साथ पकड़ा गया था और उसी दौरान ही उधम सिंह को भगत सिंह का सहयोगी मान लिया गया और तभी से उधम सिंह को भगत सिंह का शिष्य मान लिया गया। उधम सिंह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनको देश भक्ति गीत बहुत पसंद थे। उधम सिंह को उस समय के महान क्रांतिकारी कवि राम प्रसाद बिस्मिल जी के द्वारा लिखे गए गीत सुनने के बहुत शौकीन थे।
उधम सिंह जी की कहानी(Udham singh ki Story)-
जलियांवाला बाग की नींदनीय घटना-
जलियांवाला बाग में अकारण वश ही निर्दोष लोगों को अंग्रेजों ने मृत्यु के घाट उतार दिया और इस निंदनीय धटना में बहुत से लोग मारे गए थे इनमें कुछ बच्चे ,बुजुर्ग,नवजवान और महिलाएं भी शामिल थी। इस घटना को होते हुए उधम सिंह ने अपनी आँखों से देखा था जिससे उनको बहुत ही दुख हुआ था।तभी उन्होंने ठान लिया था कि यह सब जिसके इशारे पर हो रहा है उसको उसकी किये की सजा जरूर मिलेगी,ऐसा उधम सिंह ने उसी समय प्रण किया था।
उधम सिंह की क्रांतिकारी विधियां(Udham Singh Karyakari Gatividhiyan)-
- उधम सिंह ने अपने द्वारा लिए गए संकल्प को पूरा करने के लिए मदकस से उन्होंने अपने नाम अलग-अलग जगहों पर बदला और वे दक्षिण अफ्रीका, जीबब्वे,ब्राजील, अमेरिका,नेरोबी,जैसे बड़े देशों में यात्राएं की।
- 1913 में गदर पार्टी का निर्माण किया जाता था और इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य सिर्फ भारत मे क्रांति फैलाना था।
- उधम सिंह जी,भगत सिंह जी के और राहों पर चलने लगे थे।
- और 1924 में उधम सिंह जी ने इस पार्टी से जुड़ने का निश्चय कर लिया और वे इससे जुड़ भी गए।
- उधम सिंह को 1927 में भगत सिंह ने वापस अपने देश बुला लिये।
- उधम सिंह वापस लौटने के दौरान अपने साथ 25 सहयोगी, रिवाल्वर गोला बारूद लेकर आये थे।परन्तु इसी दौरान उनको लाइसेंस के उनको गिरफ्तार कर लिया गया।उन्होंने अगले 4 साल जेल में व्यतित कर दिए।सिर्फ यही सोचकर कि,वह बाहर निकल कर जरनल दायर के द्वारा किये गए दंडनीय अपराध का बदला अपने देशवासियों के लिए लेकर रहे थे।
- 1931 में जेल से रिहा होने के बाद वे अपने संकल्प को पूरा करने के लिए कश्मीर गए फिर कश्मीर से वे भाग कर जर्मनी चले गए।
- और 1934 में उधम सिंह लन्दन पहुँच गए और वहां पर अपने काम को अंजाम देने के लिए सही समय का इंतजार करना शुरू कर दिए।
- भारत का यही वीर पुरूष जलिया वाले बाग के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लन्दन के कास्टन हाल में बैठक थी।जहां माइकल ओ’ डायर को उसके किये का दंड देने के लिए तैयार बैठा था।उधम सिंह ने आगे बढ़कर जनरल डायर को मारने के लिए दो शॉट दाग दिए,जिससे डायर की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई।
- उधम सिंह अपने काम को अंजाम देने के बाद उनको अपनी गिरफ्तारी का जरा सा भी डर नही लगा और वो उसी जगह पर शांत खड़े रहे।
- उनको उस बात का गर्भ था,कि उन्होंने अपने देशवासियों के लिए यह सब किया।जो सभी देशवासी चाहते थे और ऐसे ही बहुत से देश वासी अपने देश के लिए अपना आत्मसमर्पण किया।
उधम सिंह की अमूल्य शहादत (Udham Singh Death,Fansi)-
उधम सिंह को जरनल डायर के मृत्यु का दोषी 4 जून 1940को घोषित कर दिया गया।और 31 जुलाई 1940 को लन्दन के पेंटोनविले जेल में उनको फांसी की सजा दी गई।
उधम सिंह के मृत शरीर के अवशेष को उनकी पूज्य तिथि 31 जुलाई 1974 को भारत को सौंप दी गई।
उधम सिंह के देहा संस्कार उन्ही के गांव में किया गया था।
तो आप सभी को पता चल गया होगा कि किस तरह से उधम सिंह ने अपने आप 40 वर्ष की आयु में भारत के देशवासियों के लिए समर्पित कर दिया।
और जिस दिन उधम सिंह को फांसी दी गई थी, उसी दिन से भारत का आक्रोष अंग्रेजो के लिये बड़ गया था और उनके शहीद होने के 7 वर्ष बाद भारत अंग्रेजो के जगुल से मुक्त हो गया।
उधम सिंह का सम्मान और विरासत(Udham Singh Honours)-
अब उधम सिंह के सम्मान और विरासत के बारे में जानेंगे।
- सिखों के हथियार जैसे- चाकू,डायरी और शूटिंग के दौरान उपयोग की गई और गोलियां को स्कॉटलैंड यार्ड में ब्लैक म्यूजियम में उनके सम्मान के रूप में रखा गया था।
- अमृतसर के जलिया वाला बाग के नजदीक में एक म्यूजियम सिंह लोगों को समर्पित करने के लिए बनाया गया।
- और राजस्थान के अनूपगढ़ में शहीद उधम सिंह के नाम की चौकी भी मौजूद हैं।
- उधम सिंह के नगर जो झारखंड में मौजूद है तो इस जिले को उन्ही के नाम सर प्रेरित किया गया।
- और उधम सिंह जी के द्वारा दिए गए बलिदान को भारतीय फिल्मों में फिल्माया गया गया है। जोकि इस प्रकार से हैं-
जलियांवाला 1977
शहीद उधम सिंह 1977
शहीद उधम सिंह 2000
विक्की कौशल स्टारर फ़िल्म सरदार उधम सिंह(Udham Singh Movie)-
सरदार उधम सिंह एक आगामी भारतीय हिंदी भाषा की जीवनी फिल्म है, जिसको शुजीत सरदार द्वारा निर्देशित की गई है, जिसको रानी लोहिड़ी और शील कुमार द्वारा निर्मित और रितेश शाह और शुभेंदु भट्टाचार्य द्वारा राईन सन फिल्म्स और केनो वर्क्स के बैनर तक लिए गए हैं। इस फ़िल्म में सरकार उधम सिंह का किरदार विक्की कौशल ने निभाया था और इस फ़िल्म में सरदार उधम सिंह के साथ हुई घटनाओं को और उनके उद्देश्यो को को भी दर्शकों को समझने की कोशिश की गई हैं।
और आप सभी को पता है कि इस फ़िल्म को 120 करोड़ की लागत में बनाया जा रहा है और हो सकता है कि 2 अक्टूबर 2020 में यह फ़िल्म अपने नजदीकी सिनेमाघरों में देखी होगी।
और आज हम जिस स्वतंत्र भारत मे रह रहे हैं तो इस स्वतंत्रता अभियान के पीछे उधम सिंह जैसे महान सेनानियों का हाथ रहा है तभी आज हम अब अंग्रेजों से स्वतंत्र हो कर रह रहे हैं। तो सेनानियों को हम सभी भारत वासियों को याद रखना चाहिए और इन सभी सेनानियों के बलिदान को याद रखने के लिए हम सभी एकजुट होना चाहिए और इनकी महान एकता पर सदैव गर्भ होना चाहिए।