प्रदेश के 15 मेडिकल कॉलेजों की पड़ताल: आधे टीचर्स भी नहीं, यूट्यूब से पढ़ाई, बिना प्रैक्टिकल ही सब पास –भारत में मेडिकल की पढ़ाई पर खर्च 1 करोड़, विदेश में सिर्फ 20 लाख में MBBS
लखनऊ, (तारीख) – उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में बने नए मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई की स्थिति बेहद चिंताजनक है। इन कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे छात्रों को सही ढंग से पढ़ाई का मौका नहीं मिल पा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कई कॉलेजों में आधे से भी कम शिक्षक हैं, जिससे छात्र यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन माध्यमों से पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं, बिना किसी प्रैक्टिकल परीक्षा के ही छात्रों को पास कर दिया जा रहा है, जिससे उनके ज्ञान और कौशल पर सवाल खड़ा होता है।
शिक्षकों की भारी कमी
‘एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज’ योजना के तहत खोले गए नए कॉलेजों में शिक्षकों की गंभीर कमी है। कई कॉलेजों में 70% से ज्यादा फैकल्टी पद खाली हैं। उदाहरण के लिए:
- कुशीनगर में 85.7% पद खाली
- गोंडा में 84.7% पद खाली
- सोनभद्र में 74% पद खाली
- कौशांबी में 72.79% पद खाली
- कानपुर देहात में 76.5% पद खाली
शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को ऑनलाइन वीडियो देखकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
बिना प्रैक्टिकल ही परीक्षा में पास
मेडिकल की पढ़ाई में प्रैक्टिकल बहुत जरूरी होता है, लेकिन कई कॉलेजों में लैब और जरूरी उपकरण तक नहीं हैं। इसके बावजूद, छात्रों को बिना प्रैक्टिकल के ही पास कर दिया जा रहा है, जिससे उनकी शिक्षा पर बड़ा असर पड़ सकता है।
भारत और विदेश में मेडिकल पढ़ाई की फीस
भारत में मेडिकल कॉलेज की फीस बहुत ज्यादा है। निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस 1 करोड़ रुपये तक होती है, जबकि विदेशों में, खासतौर पर रूस, यूक्रेन, चीन जैसे देशों में यही कोर्स 20 लाख रुपये में पूरा हो जाता है। इस वजह से कई भारतीय छात्र विदेश जाकर पढ़ाई करना पसंद कर रहे हैं।
एनएमसी की चेतावनी
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने भी इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और प्रदेश के 13 नए मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने से मना कर दिया है। कमीशन का कहना है कि जब तक कॉलेजों में जरूरी सुविधाएं और फैसल्टी नहीं होगी, उन्हें मान्यता नहीं दी जाएगी।
छात्रों और विशेषज्ञों की राय
छात्रों का कहना है कि बिना टीचर्स और प्रैक्टिकल के पढ़ाई करना उनके भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर इस समस्या को जल्दी नहीं सुलझाया गया, तो भविष्य में प्रदेश में डॉक्टरों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति बेहद खराब है। शिक्षकों की भारी कमी, संसाधनों का अभाव और महंगी फीस जैसी समस्याएं छात्रों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। सरकार को इस ओर जल्दी ध्यान देने की जरूरत है ताकि छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके।