रागी क्या है ? जानिए रागी खाने के फायदे | Benefits of Ragi in hindi

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रागी क्या है ? , रागी का दूसरा नाम , रागी के फायदे , रागी का उपयोग कैसे किया जाता है? , रागी का पौधा कैसा होता है ? इत्यादि|

Table of Contents

About Ragi in hindi-

आप लोग जानते ही हैं कि प्राचीन काल से ही हमारे देश में पारम्परिक मोटे अनाजो का सेवन होता ही हैं जैसे -जौं ,मक्का,ज्वार आदि हैं और हम आपको बता दें कि इन्ही मोटे अनाज में से एक अनाज रागी भी है।जो हमारे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है।रागी को  मंडुआ, Finger Millet और नाचनी के नामों से जाना जाता है।रागी में मुख्य रूप से ऊर्जा पाई जाती है Ragi  एक खाने वाला बहुत ही स्वादिष्ट अनाज है।रागी के सेवन से हमें कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है अगर हम Ragi का सेवन प्रतिदिन अपने आहार के रूप में करें तो निश्चित ही हमारे शरीर में होने वाली सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।

Ragi एक ऐसा अनाज है जो कई तरह की औषधियों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। रागी को कुछ लोग benefits के नाम से भी जानते हैं।बहुत से लोगों को रागी के बारे में पता ही नहीं होगा तो आज हम आपको लोगों को रागी के बारे में बताएंगे कि रागी क्या है और रागी का उपयोग कैसे किया जाता है तथा यह हमारे लिए किस प्रकार से फायदेमंद है तथा इसका सेवन किन-किन आहरों के रूप में किया जाता है तो चलिए इन सभी के बारे आप विस्तार से बताते हैं।

रागी क्या है?(What is raagi in hindi)

रागी सबसे पुराना और खाने वाला एक मोटा अनाज हैं,जिसे भारत में  4000 पूर्व लगाया गया था।रागी को 200 मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्रों या पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है जैसे -अफ्रीका और एशिया पर रागी उगाया जाती है और भारत में मुख्य रूप से कर्नाटक,आंध्रप्रदेश,तमिलनाडु,महाराष्ट्र और गोवा में रागी बहुत ही अधिक मात्रा में पाया जाता है।रागी एक वार्षिक पेड़ है हमारे यहां पारम्परिक मोटे अनाज जैसे कि मक्का,ज्वार,जौ आदि का सेवन करते हैं वैसे ही रागी भी इन्हीं मोटे अनाजों में से एक इसका भी लोग सेवन करते हैं।यह खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है और इसमें भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व प्राप्त होते है। रागी को मंडुआ,नाचनी,फिंगर मिलेट  आदि नामों से भी जाना जाता है। रागी को कभी भी खेतो में लगाया जा सकता है।आज भारत रागी का सबसे निर्यातक देश है|

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रागी होती कैसी है?

ragi kya ha
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अगर आप लोगों ने रागी कभी नहीं देखी हैं और पहली बार देख रहें हैं तो मैं आप सभी को बता दूं यह देखने में कुछ-कुछ राई की तरह होती है जैसे राई के बीज दाने दार गोलाकार और छोटा होता है वैसे ही रागी के बीज भूरे रंग के तथा झुर्रीदार होते हैं।

कैसा होता है रागी का पौधा ?

ragi kya hai
ragi kya hai

रागी के पौधे की बात करें तो यह लगभग 1 मीटर ऊंचा होता है । इसकी खासियत यह है कि इसे हम शुष्क मौसम में भी उगा सकते हैं । वैसे तो रागी की बहुत सी किस्में हैं जोकि भारत तथा अन्य देशों में उगाई जाती हैं । इस लेख में आपको रागी की कुछ खास किस्में के बारे में बताएंगे तो चलिए देखते हैं –

  1. शुव्रा (OUAT- 2):क्या आप लोगों को पता है कि रागी यह किस्म जिसमें एक मीटर ऊँचाई वाले पौधे होते हैं इसमें 7-8 सेमी की लगभग बालियां होती हैं और इसमें सभी पौधे के लिए माध्यम प्रतिरोधी होता है।
  2. चिलिका (OEB -10)  रागी की इस किस्म के पौधे ऊँचे तथा चौड़ी पत्तियों वाले होते हैं तथा इन पौधों की पत्तियों का हल्का हरा रंग होता है।
  3. VL 149: आज हम आप लोगों को बताते हैं कि रागी के इस किस्म के पौधों की गाठे रंगीन होता हैं और रागी के इस किस्म में बालियां हल्के बैंगनी रंग की होती हैं तथा इनका उत्पादन मैदानी या पठारी क्षेत्रों में किया जाता है और यह भी झुलसन रोग के प्रतिरोधी होता है।
  4. GPU 45:  क्या आप लोग जानते हैं कि रागी के इस किस्म के पौधे हरे होते हैं और इन पौधों की बालियां थोड़ी मुड़ी हुई होती हैं और रागी की यह किस्म भी झुलसन रोग के लिए प्रतिरोधी होती है और रागी यह फसल जल्दी पककर तैयार हो जाती है।

रागी के सभी पौधे उन्नत किस्म के पौधे हैं हम आप को बता दें कि रागी के बीज झुर्रिदार तथा एक ओर से चपटे होते हैं जोकि देखने में बहुत ही सुंदर लगते हैं।

रागी के अन्य नाम क्या हैं ?

भारत में कई राज्य और बहुत से राज्यों की भाषाएँ बिलकुल ही भिन्न हैं इस वजह आपको रागी के अन्य नाम भी जान लेने चाहिए –

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रागी का हिंदी नाम – मंडुआ , रागी , नाचनी
रागी का अंग्रेजी नाम- इंडियन मिलेट , फिंगर मिलेट
रागी का राजस्थानी नाम- रागी
रागी का अरबी नाम- तैलाबोन
रागी का तेलुगु नाम- रागुलू
रागी का संस्कृत नाम- न्रित्य्कुंदल
रागी का तमिल नाम- केल्वारागु
रागी का पंजाबी नाम- चलोडरा
रागी का मराठी नाम- नचीरी
रागी का मलयालम नाम- मुत्तरी
रागी का वनस्पति नाम – एलुसैनी कोराकैना

रागी का उपयोग-

  • रागी का उपयोग भारत में कर्नाटक आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में किया जाता है यहां पर रागी का आटा बनाकर उसकी डबल रोटी,सादा रोटी बनाई जाती है।
  • छोटे बच्चों के लिए रागी का उपयोग रागी को पीसकर दूध में मिलाकर पकाकर खिलाया जाता है
  • रागी से बहुत सी रेसिपी  बनाई जाती है जैसे कि हलवा,डोसा, इटली,बाटी आदि।
  • रागी का उपयोग ज्यादातर बीमार व्यक्ति के लिए किया जाता है रागी को धोकर उसका छिलका निकालकर उसकी खिचड़ी बनाकर बीमार व्यक्ति को खिलाई जाती हैं।
  • रागी का उपयोग लडडू  बिस्किट और कई लोग तो इसका उपयोग बर्फी के रूप में भी करते हैं

रागी में पाए जाने वाले पोषक तत्व-

रागी में ऐसे बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर  को मजबूत  और स्वस्थ रखते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन,वसा,खनिज,कैल्शियम,रेशा,ऊर्जा आदि पाए जाते हैं। इसके अलावा रागी में आयोडीन,ईथर,कैरोटीन,सोडियम,जिंक,मैग्नीशियम, विटामिन B1,विटामिन B2, विटामिन B3,आदि सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में पाए जाते हैं।

रागी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स-

आप लोगों को पता है कि Ragi में  बहुत ही भरपूर मात्रा में न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं इसमें से कुछ हम मैक्रोन्यूट्रिएंट्स आपको को बताते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट,फैट और प्रोटीन होते हैं।और उसके साथ ही मैक्रोन्यूट्रिएंट्स कुछ मिनरल्स और विटामिन पाए जाते हैं ।रागी में सोडियम और कोलेस्ट्रॉल भी पाए जाते हैं जो कि हमारे दिल के स्वास्थ्य बहुत ही फायदेमंद होते हैं।इसी के साथ ही रागी में भरपूर मात्रा में विटामिन ई और सी पाए जाते हैं जो हमारी इम्यूनिटी और  स्किन से साथ ही हमारे बालों के लिए भी बेहद लाभदायक होता है ।रागी में विटामिन बी कॉप्लेक्स जैसे राइबोफ्लेविन,नियासिन,फोलिक एसिड तथा थायमिन के साथ ही मैग्नीशियम,आयरन, फास्फोरस,और कैल्शियम भी रागी के आटे में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। रागी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसी लिए Ragi हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती है और रागी में ये सभी पोषक तत्त्व पाये जाने के कारण ही रागी को सुपरफूड कहा जाता है।

रागी खाने के फायदे-

  • रागी में बहुत अधिक कैल्शियम होता है जिसको खाने से हड्डियां मजबूत होती है।
  • घुटनों, कमर और हाथों में दर्द हो तो रागी का सेवन करने से फायदा होता है।
  • रागी का नियमित सेवन करने से यह लीवर को स्वस्थ बनाए रखता है जिससे गैस,एसिडिटी और कब्ज आदि समस्याओं से आराम मिलता है।
  • रागी की सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर हो सकती है और शरीर की जलन,त्वचा विकार,किडनी या पथरी की समस्या में भी रागी का इस्तेमाल होता है।
  • रागी त्वचा के लिए भी बेहद लाभ दायक है रागी के उपयोग से त्वचा मुलायम और खूबसूरत बनती है त्वचा को निखारने के लिए रागी के आटे को  उप्टन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

रागी के औषधीय गुण –

ब्लड प्रेशर के मरीज के लिए रागी का उपयोग-

 जब लोगों को ब्लड प्रेशर की बीमारी होती है तो डॉक्टरो का यही कहना होता है कि ब्लड प्रेशर के मरीज को रागी की रोटी बनाकर खिलाने से उन मरीजों को फायदा होता है।और रागी की रोटी खाने से शुगर के मरीजों के लिए भी लाभकारी होता है।

रागी खाने के फायदे एनीमिया रोग को दूर करने के लिए-

रागी में आयरन की उच्च मात्रा पायी जाती है अंकुरित रागी में विटामिन सी का लेवल बढ़ जाता है जिससे खाने में पाए जाने वाले आयरन का अवशोषण बढ़ जाता है जो कि शरीर में खून के स्तर को बढ़ाता है यह सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों में होता है खून बढ़ाने के लिए आप रागी का उपयोग किसी भी रूप में कर सकते हैं लेकिन रागी के बीजों को अंकुरित कराए सुबह खाली पेट खाने से सबसे ज्यादा खून बढ़ाने में मदद करती हैं।

रागी का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में-

कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के रक्त में पाया जाने वाला एक वसा है जो कि शरीर की सभी कार्य प्रणाली के लिए बहुत ही आवश्यक है लेकिन जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तब यह बहुत ही घातक हो जाता है और बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को रोकना बहुत जरूरी होता है जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तो शरीर में रक्त के थक्के बन जाते हैं जिससे ह्रदय से सम्बंधित बहुत सी बीमारियाँ हो जाती है रागी में लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल पाए जाते हैं जो लीवर में मौजूद वसा को कम कर देता है और लीवर में वसा को जमने भी नहीं देता है यदि आप कोलेस्ट्रॉल को कम करना चाहते हैं तो रागी का इस्तेमाल करें।

मधुमेह रोग को नियंत्रित करने में रागी का प्रयोग

यह काफी गम्भीर रोग है यह सबसे ज्यादा भारत में होता है इसलिए भारत को डायबिटीज का कैपिटल कहा जाता है यदि यह रोग किसी व्यक्ति को होता है तो जल्दी ठीक होना संभव नहीं होता है लेकिन इस पर नियंत्रण करके इसे रोक जरूर जा सकता है। रागी में बहुत अधिक मात्रा में पॉलीफेनोल और फाइबर पाया जाता है जो मधुमेह रोग को कम करता है इसके अलावा रागी में अनाज फाइटोकेमिकल्स तत्व भी पाए जाते हैं जो शरीर की पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देतें हैं जिसकी वजह से शरीर को ऊर्जा की प्राप्ति होती है रागी का सेवन करने से शरीर में ग्लूकोस का स्तर कम होता है जो कि मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए जरुरी होता है।

वजन कम करने में रागी का उपयोग –

आप सभी लोग जानते ही होंगे कि रोटी का सेवन करने से वजन कम होता है लेकिन जब तक आप लोग रोटी कम खाते हैं तब तक जब आप अपनी रोटी की मात्रा पहले जितनी कर देंगे टी आप का वजन फिर से बढ़ने लगेंगा।इसलिए हम आपको बताते हैं आपको वजन कम करना है तो रागी का उपयोग कीजिए।रागी वजन कम करने का एक अच्छा स्त्रोत हैं क्योंकि रागी में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है इसलिए यदि अन्य अनाजों की रोटी का सेवन करने की अपेक्षा आप अगर रागी के अनाज से बनी रोटियों का सेवन करें तो आपका वजन निश्चित ही कम हो जाएगा।

रागी के प्रयोग से रूसी से छुटकारा

महुआ, हॉउबेर, नीलकमल,तथा मधुलिका के चूर्ण को घी तथा शहद के साथ सेवन करें तो रूसी से छुटकारा मिलता है।

शिशुओं के लिए भी रागी फायदेमंद होती है जनिए कैसे?

रागी एक पौष्टिक आहार है जो सिर्फ बड़ो के लिए नही बल्कि बच्चों के लिए भी बेहद उपयोगी है प्रायः बच्चों को छः माह के हो जाने के बाद बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में दिया जाता है जो कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है रागी में कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। कैल्शियम और प्रोटीन वह तत्व होते हैं जो कि किसी भी शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है और रागी में कुछ एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक गुण भी पाए जाते हैं जो शिशुओं को बहुत सी बीमारियों से बचाते हैं इसीलिए रागी शिशुओं के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है।

माँ के दूध को बढ़ाने में Ragi फायदेमंद – 

आप लोगों ने सुना ही होगा कि सभी चिकित्सों के यही कहना कि नवजात शिशुओं  के लिए माँ दूध ही सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है।शिशुओं को छह माह तक खास करके सिर्फ माँ का दूध पिलाया जाता है।आप जानते हैं ही कि अगर शिशुओं को माँ की दूध की मात्रा कम मिलती है तो शिशुओं के विकास में कमी होती है। Mother को अगर मुख्य रूप से अपने शिशुओं को दूध की मात्रा का सेवन कराना हो तो रागी को अपने आहार के रूप में मुख्य से खाना चाहिए। रागी में कैल्शियम,आयरन,अमीनो अम्ल आदि उच्च मात्रा में पाए जाते हैं ये वह तत्व होते हैं जो माँ के दूध को बढ़ाने में मदद करते हैं।और ragi का उपयोग गर्भावस्था की महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।

रक्तचाप को कम करने में रागी फायदेमंद-

आज कल तो रक्तचाप बढ़ने की समस्या आम हो गई है।तथा रक्तचाप को रोकने के सभी को रक्तचाप की दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। रागी में बहुत से पोषक तत्व ऐसे होते है जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। अगर आप रागी के आटे की रोटी खायेंगे जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

उल्टी रोकने के लिए रागी का सेवन-

ऐसे बहुत से लोग हैं जो उल्टी की समस्या से परेशानी होती रहती है। तो हम आपको बताते हैं कि समस्या से छुटकारा पाने के लिए आपको रागी का उपयोग करना चाहिए। उल्टी को रोकने के लिए नीलकमल,महुआ, हॉऊबेर तथा मधुलिका के चूर्ण को घी तथा शहद के साथ सेवन करने से उल्टी रुक जाती है। 

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सर्दी-जुकाम में रागी का उपयोग फायदेमंद-

सर्दी -जुकाम होने पर आपको राल, पतंग, गुग्गुलु, प्रियंगु, शर्करा, मधु, मुनक्का, मुलेठी तथा मधुलिका लेना होता है इसका काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी -जुकाम में लाभकारी होता है।लेकिन आपको पता है क्या की  सबसे ज्यादा फायदा हमें Ragi का सेवन करने से होता है। इसलिए हमें रागी का सेवन जरूर करना चाहिए।

सांसों की बीमारी में रागी का उपयोग(Ragi Benefits in cure Respiratory Disease in hindi-

आप सभी को पता ही होगा कि बहुत से लोगों को सांसों की बीमारी हो जाती है। इसलिए सांसों वाले मरीजों को रागी का सेवन पूरी सही तरीके से करने से उन्हें लाभ होता है। रागी आदि द्रवों से विधि पूर्वक बनाए गए। मधुलिका युक्त चीजो का मात्रा पूर्वक सेवन करने से सांसों वाले मरीजों को फायदा होता है।रागी हर बीमारियों में फायदेमंद होती है।

कब्ज में फायदेमंद रागी का सेवन -(Benefits of Ragi in Constipation in hindi ) 

कब्ज एक ऐसी बीमारी है जो बहुत से रोगों का कारण बनती है।जब व्यक्ति को कब्ज होता है तो उसे हमेशा पेट की समस्या रहती है और इससे परेशान हो कर व्यक्ति दवाइयां खाता है तथा और बहुत से देशी उपाय करता है। हम आपको बता दे कि इन सब चीजों से ज्यादा फायदेमंद Ragi होती है।जब कब्ज हो तो रागी के बीजों का इस्तेमाल करें।क्योंकि Ragi के बीजों में सेल्युलोज अधिक मात्रा में होने के कारण इसका प्रयोग प्रतिदिन करने से कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है सबसे अच्छे बात यह है कि कब्ज की चाहे कितनी भी पुरानी बीमारी क्यों ना हो Ragi के प्रयोग से इस बीमारी में फायदा होता है।

दस्त को रोकने के लिए रागी का उपयोग (Uses of Ragi to stop Diarrhea in hindi)-

जब दस्त होता है तो दस्त से परेशान व्यक्ति (Ragi ka atta) प्रयोग करते हैं।अगर आपको पेट दर्द हो तो भी Ragi का प्रयोग करना चाहिए । दस्त में रागी के प्रयोग की जानकारी के आपको आयुर्वेदिक चिकित्सा से सलाह लेना चाहिए। 

लीवर की समस्या में रागी फायदेमंद –

रागी वह अनाज है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हमारे शरीर में होने वाली सभी समस्याओं के लिए लाभकारी है। जैसे कि लीवर -लीवर के लिए भी रागी बहुत ही फायदेमंद होती है।रागी हमारे शरीर से फ्री रैडिक्स को बाहर निकालते है जिससे गॉलब्लैडर और लीवर को स्वास्थ्य रखता है।और इसी से ये शरीर की सभी गैर जरूरी टॉक्सिन को बाहर निकालता है और शरीर  स्वस्थ रहता है।

रागी से होने वाले नुकसान-

  • रागी का जरूरत से ज्यादा सेवन नुकसानदायक होता है रागी का ज्यादा सेवन करने से शरीर में ऑक्जेलिक एसिड बढ़ता है।
  • रागी का सेवन गुर्दे की पथरी वालो को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • रागी किडनी वाले मरीजों के लिए भी अत्यधिक हानिकारक है।
  • रागी एक फायदेमंद अनाज है लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए जब आप रागी का उपयोग जरूरत से ज्यादा करेंगे तो आपको उल्टी दस्त चक्कर जैसे कुछ साइड इफेक्ट्स होने लगेंगे ।

रागी की खेती कैसे की जाती है?

ragi kya hai
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आज हम आप सभी को बायेंगे की ragi खेती कैसे की जाती है।तो चलिए बताते हैं-रागी की खेती के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है आप जानते हैं कि भारत ज्यादातर लोग इसे खरीफ की फसल के रूप में उगाते  हैं।ज्यादा बारिश होने पर राफी फसल कम होती है तथा रागी के पौधों को समुद्र तल से 2000 मीटर तक आसानी से उगाया जा सकता है।इसकी खेती करने से किसान व्यक्तियों ज्यादातर लाभ होता है।भारत में रागी की खेती दक्षिणी तथा पूर्वी राज्यों और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेशों में रागी की खेती जाती है।

रागी के लिए उपयुक्त मिट्टी-

वैसे तो रागी की खेती कई तरह की कार्बनिक पदार्थों से भरपूर तथा उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है लेकिन रागी खेती के सबसे अच्छे उत्पादन के लिए बलुई मिट्टी इसका सबसे अच्छा स्त्रोत है रागी की खेती के लिए इसका पी एच मान 5.5 से 8 तक होना चाहिए।और रागी के खेतों में ज्यादा पानी का भराव नहीं होना चाहिए पानी के भराव से Ragi के पौधे सूखने लगते हैं।

रागी के लिए उचित जलवायु और तापमान-

जब रागी की खेतो की जाती है तब 35 डिग्री का तापमान होना चाहिए क्योंकि 35डिग्री तापमान पर अधिक विकास होता है।रागी खेती गर्मियों के मौसम में होती है।जब रागी के बीज अंकुरित होने लगे तो उसे 20 से 22डिग्री तापमान की जरूरत होती है। और जब बाद में रागी के बीजों का पौधे के रूप में विकास होने लगता है तब उसे 30डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

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FAQ-

बाजार में रागी का भाव क्या होता है?

रागी बाजार में सामान्यता 100 से 200 रु० केजी मिलती है।

रागी का इंग्लिश नाम क्या है?

रागी का इंग्लिश नाम Finger Millet है

रागी को मराठी में क्या कहते हैं?

रागी को मराठी में नाचनी और मंडुआ के नाम से जाना जाता है।

रागी के प्रयोग की विशेष जानकारी क्या है ?

रागी को कई स्थानों पर रागी का प्रयोग कोदो के नाम से भी किया जाता है। लेकिन जो मुख्य कोदो है वे भिन्न प्रजाति के हैं । अलग कोदो का नाम को द्रव(Paspalum scrobiculutun Linn.) है।

रागी का दूसरा नाम क्या है ?

रागी का दूसरा नाम मंडुआ है |

मेरे लिए –

दोस्तों इस लेख में हमने आपको यह बटने की कोशिश की रागी क्या है , रागी के क्या फायदे हैं ? आदि उम्मीद करता हूँ आपको मेरी यह पोस्ट पसंद आई होगी| अगर रागी से सम्बन्धित आपको अभी भी किसी प्रकार का संदेह तो आप हमें कमेंट में जरुर पूछें हम आपकी पूरी मदद करेंगे | आप हमारे इस लेख ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि हमें प्रोत्सहन मिल सके और हम इसी प्रकार की जानकारी भरे लेख लिखते रहें |

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Pankaj Yadav
Pankaj Yadavhttp://hinditarget.com
नमस्कार दोस्तों  ! मै Pankaj Yadav , HindiTarget.com का Owner | मै एक Web Developer हूँ | मै इस ब्लॉग के माध्यम से नयी नयी जानकारियां लाता रहता हूँ। कृपया आप हमे SUPPORT करे ताकि हम आपसे इसी तरह जुड़े रहें।

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