नई दिल्ली। आज 23 जनवरी को देशभर में सुभाष चंद्र बोस जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में भव्य तरीके से मनाया जा रहा है। नेताजी के साहस, नेतृत्व और स्वतंत्रता संग्राम में उनके अतुलनीय योगदान को याद करते हुए देशभर में कई बड़े आयोजन किए गए। उनके अमर नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” की गूंज ने पूरे भारत को एक बार फिर प्रेरित कर दिया।
नेताजी का अमूल्य योगदान
नेताजी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया। उन्होंने देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए आजाद हिंद फौज के माध्यम से संघर्ष किया। उनकी दूरदर्शिता और रणनीति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
पराक्रम दिवस की शुरुआत
साल 2021 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस घोषित किया। इस दिवस का उद्देश्य नेताजी की वीरता, साहस और बलिदान को याद करना और युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों से प्रेरित करना है।
देशभर में आयोजन
- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी की विशाल प्रतिमा के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- स्कूलों, कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थानों में भाषण प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन, और प्रदर्शनी आयोजित की गई।
- नेताजी के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री और नाटकों का मंचन किया गया।
- प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित देश के कई बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से नेताजी को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन त्याग, बलिदान और साहस की मिसाल है। उनकी देशभक्ति आज भी हमें राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करती है।”. सरकार और विभिन्न संगठनों ने युवाओं से अपील की है कि वे नेताजी के आदर्शों को अपनाएं और देश के विकास में अपना योगदान दें। नेताजी का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। सुभाष चंद्र बोस जयंती का यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि देशभक्ति और साहस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का मौका है। नेताजी का अदम्य साहस और संघर्ष हमेशा हर भारतीय के दिल में जीवित रहेगा।