नए नियम: अब नाबालिगों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने से पहले माता-पिता से मंजूरी लेनी होगी!

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भारत सरकार ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर एक अहम कदम उठाया है। अब, अगर नाबालिग (18 साल से कम उम्र के बच्चे) सोशल मीडिया अकाउंट बनाना चाहते हैं या इंटरनेट पर किसी भी डिजिटल सेवा का उपयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावक से मंजूरी लेनी होगी। यह नया नियम बच्चों के डिजिटल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है ताकि उनके व्यक्तिगत डेटा की रक्षा हो सके और वे ऑनलाइन खतरों से सुरक्षित रहें।

इससे पहले, बच्चों का डेटा बिना किसी विशेष निगरानी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा एकत्र किया जाता था, जिससे उनकी गोपनीयता और सुरक्षा पर सवाल उठते थे। अब, नए नियमों के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों से जुड़ी जानकारी और डेटा बिना माता-पिता की सहमति के एकत्र नहीं किया जाएगा।

बच्चों को अकाउंट बनाने से पहले इजाजत: 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अब सोशल मीडिया अकाउंट बनाने या किसी भी ऑनलाइन सेवा का उपयोग करने से पहले अपने माता-पिता की सहमति प्राप्त करनी होगी। इससे बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर माता-पिता का नियंत्रण और निगरानी बढ़ेगी।

  1. बच्चों का डेटा सुरक्षित रहेगा: कोई भी डिजिटल प्लेटफॉर्म बच्चों का व्यक्तिगत डेटा बिना उनकी माता-पिता से अनुमति लिए एकत्र नहीं कर सकेगा। अगर किसी वेबसाइट या ऐप को बच्चों का डेटा एकत्र करना है, तो वह पहले माता-पिता से सहमति प्राप्त करेगा। इस कदम से बच्चों की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  2. साइबर खतरों से सुरक्षा: ऑनलाइन दुनिया में बच्चों के लिए साइबरbullying, डेटा चोरी, और धोखाधड़ी जैसे खतरों का सामना करना पड़ सकता है। नए नियम इन खतरों से बच्चों को बचाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसके अलावा, बच्चों की डिजिटल दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए माता-पिता की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
  3. डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक 2023: 2023 में भारत सरकार ने “डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक” को मंजूरी दी थी, जिसमें बच्चों के डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान हैं। इस विधेयक के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों से जुड़ी किसी भी जानकारी का बिना इजाजत इस्तेमाल नहीं होगा। इससे बच्चों के व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।

नए नियमों का उद्देश्य:

  1. बच्चों की सुरक्षा बढ़ाना: नए नियमों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाना है। आजकल इंटरनेट का उपयोग बढ़ गया है, लेकिन इसके साथ ही बच्चों को साइबरbullying, फ्रॉड, और डेटा चोरी जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। इन नियमों से बच्चों को सुरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है।
  2. बच्चों की गोपनीयता की रक्षा: यह नियम बच्चों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं। अगर बच्चों के डेटा को गलत तरीके से एकत्रित या प्रोसेस किया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
  3. माता-पिता की जिम्मेदारी: माता-पिता को अब अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर अधिक ध्यान देना होगा। उन्हें बच्चों के डिजिटल उपयोग और उनकी जानकारी की सुरक्षा के लिए मार्गदर्शन और निगरानी करनी होगी। इससे बच्चों की सुरक्षा में मदद मिलेगी और वे ऑनलाइन दुनिया से जुड़ने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे।
  4. पारदर्शिता और जिम्मेदारी: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और सेवाओं को अब अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बच्चों के डेटा का सही तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं और किसी भी प्रकार की गलतफहमी या धोखाधड़ी से बच रहे हैं।

इन नए नियमों का उद्देश्य बच्चों को एक सुरक्षित डिजिटल अनुभव प्रदान करना और उन्हें इंटरनेट के खतरों से बचाना है। माता-पिता की सहमति और उनकी सक्रिय भूमिका के माध्यम से बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। यह कदम भारत सरकार द्वारा बच्चों की गोपनीयता और सुरक्षा की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार कदम है।

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