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महाराजा अग्रसेन जयंती Agrasen Maharaj jayanti in hindi-
दोस्तों क्या आप लोगों ने कभी महाराज अग्रसेन के बारे में सुना है।अगर नही जानते हो तो चलिए आज हम बताते हैं। महाराज अग्रसेन, अग्रवाल वैश्य समाज के जनक कहे जाते थे और इसका जन्म जानते हो क्षत्रिय समाज में हुआ था। जो उस समय आहुति के रूप में लोग पशुओं की बलि देते थे।पशुओं की बलि देने महाराज अग्रसेन को पसंद नही था।जिसकी वजह से महाराज अग्रसेन क्षत्रिय त्याग मर वैश्य धर्म अपना लिया था। कुल देवी के मतानुसार उन्होंने अग्रवाल समाज की उतपत्ति की वे अग्रवाल समाज के जन्मदाता माने जाने लगे।और महाराज अग्रसेन ने व्यापारियों के राज्य की स्थापना की थी जो उत्तरी भाग में बसाया गया था।जिसको अग्रोहा के नाम से जाना जाता था।अग्रवाल समाज के लिए अठारह गौत्र का जन्म महाराज अग्रसेन के अठारह पुत्रो के द्वारा जो ऋषि थे उनकी संधीय अठारह यज्ञों के द्वारा की गई थी।
महाराजा अग्रसेन का इतिहास (Agrasen Maharaj of History in hindi)-
दोस्तो क्या आप सभी को पता है कि अग्रसेन किसके पुत्र है और इनका जन्म कहा हुआ था। जानते हो अग्रसेन राजा वल्लभ सेन के पुत्र हैं और इनका जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था। जानते हो जिस वक्त राम राज्य हुआ करते थे जब प्रजा राजा के हित मे कार्य करती थी। और इन्ही सिंद्धात महाराज अग्रसेन के थे। जिसके कारण वे आज इतिहास के प्रसद्धि राजा थे।महाराज अग्रसेन को मनुष्यों के साथ पशुओं से नही बल्कि जानवरों से भी प्रेम था। पहली वाली इनकी नगरी का नाम प्रतापनगर था।और फिर बात महाराज अग्रसेन ने अग्रोहा नामक नगरी बसाई।क्षत्रिय में पशुओं की आहुति दी जाती थी इसलिए इन्होंने क्षत्रिय धर्म को त्याग कर वैश्य धर्म की स्थापना की इसी प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्म दाता बने।यह एक प्रिय राजा की तरह प्रसिद्ध थे। और आप लोगों को पता है कि इन्होंने महाभारत में युद्ध मे पांडवों के पक्ष में युद्ध किया।
कैसे हुई अग्रवाल समाज की स्थापना-
महाराज अग्रसेन से वैश्य समाज का जन्म तो कर लेकिन इसको व्यवस्थित नही किया था । इसको व्यवस्थित करने के लिए 18 यज्ञ किये गए थे। तब जाकर उन्हीं के आधार पर गौत्र बनाये गए थे। आपको पता है कि अग्रसेन के 18 पुत्र थे जो उन्ही को ही यज्ञ का संकल्प दिया गया था। जिसे 18 ऋषियों ने मिलकर पूरा करवाया था।इन्ही ऋषियों के आधार पर गोत्र की उतपत्ति हुई थी। जिसे सभी लोगों ने 18 गौत्र वाले अग्रवाल का निर्माण किया ।
कैसे हुई अग्रोहा धाम की स्थापना-
क्या आप सभी लोग जानते हैं कि महाराज अग्रसेन प्रताप नगर के राजा थे।उनका राज्य खुशहाली से चल रहा था उनसे प्रजा बहुत खुश थी। और अग्रसेन महाराज तपस्या में अपना मन लगाए हुए थे।तपस्या के उपरांत उन्हें लक्ष्मी देवी के दर्शन हुए और उन्होंने अग्रसेन को एक नवीन विचार धारा के साथ वैश्य जाति को एक नया राज्य रचने की प्रेरणा दे गई। फिर इसके बाद महाराज अग्रसेन ने और रानी माधवी ने दोनों साथ मे पूरे देश की यात्रा की फिर उन्होंने अपनी समझ के अनुसार अग्रोहा राज्य की स्थापना की।पहले तो इसका नाम अग्रेयगण रखा था और फिर बाद में अग्रोहा हो गया । यह राज्य आज हरियाणा के अंतर्गत आता है।और यहाँ पर लक्ष्मी माता का एक विशाल मंदिर है।महाराज अग्रसेन ने ही समाजवाद की स्थापना की जिसके कारण ही आज लोगों में एकता का भाव उत्पन्न हुआ है। और साथ ही एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना का भी विकास हुआ जिससे लोगों के स्तर में सुधार हुआ।
महाराज अग्रसेन का विवाह-
क्या आप लोगों को पता है कि महाराज अग्रसेन का विवाह किसे हुआ था।नही पता है तो चलिए जानते हैं।महाराज अग्रसेन का विवाह नागराज की कन्या माधवी के साथ हुआ था।ये बहुत ही सुंदर कन्या थी। माधवी के लिए स्वयंबर रखा गया था जिसमे राजा इंद्र ने भी भाग लिया था।लेकिन रानी माधवी ने अग्रसेन को चुना ,जिससे इंद्र को अपना अपमान महसूस हुआ जिससे वे गुस्से में आकर प्रताप नगर पर अकाल फैला दिया।जिससे राजा अग्रसेन को इंद्र पर आक्रमण करना पड़ा।अग्रसेन एक वीर योद्धा भी थे इसलिए उनकी विजय तय थी लेकिन सभी देवताओं ने मिलकर अग्रसेन और इंद्र के जो बैर था उसको ही खत्म कर दिया ।
महाराजा अग्रसेन को राष्ट्रीय सम्मान –
महाराज अग्रसेन की वजह से उनके विचारों और कर्मठता के बल पर ही समाज को एक नई दिशा मिला।और सभी लोगों के साथ ने इन्ही के कारण समाजवाद के महत्व को समझा। इसी कारण ही भारत सरकार ने 24 सितम्बर 1976 को सम्मान के रूप 25 पैसे टिकिट के रूप में महाराज अग्रसेन की आकृति को डलवाया।और भारत सरकार ने 1995 में एक जहाज खरीदा जिसका नाम अग्रसेन रखा। आपको पता है कि दिल्ली में आज भी अग्रसेन की बावड़ी है और जिसमें उनसे जुड़े तथ्य रखे हैं।
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अग्रसेन जयंती कब मनाई जाती है-
आप लोगों को पता है कि अग्रसेन जयंती कम मनाई जाती है।अश्विन शुल्क पक्ष प्रतिपदा अर्थात नवरात्रि के प्रथम दिन ही अग्रसेन जयंती मनाई जाती है।इस दिन बहुत से आयोजन होते हैं और बहुत ही प्रेम भाव से पूजा करते हैं।इस बार 2021 में यह जयंती 7 October को मनाई जाती हैं। जानते हो वैश्य समाज के अंतर्गत महेश्वरी और खण्डेलवाल आदि आते हैं जो इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से बनाते हैं।अग्रसेन जयंती के पन्द्रह दिन ही बाद पहले से ही समारोह शुरू हो जाता है पूरा समाज इस इकट्ठा होकर मनाता है।और इस त्यौहार में बच्चों के लिए भी बहुत से आयोजन किये जाते हैं।
अग्रसेन महारज के अनमोल वचन-
- अग्रसेन से एक जनक पिता बनकर नव समाज का निर्माण किया और इन्ही के कारण आज वैश्य समाज का उद्धार हुआ है।
- अग्रसेन को पशुओं से बहुत प्रेम था इसलिए इन्होंने पशुओं की बलि होने से रोका।और एक नए समाज का निर्माण भी किया था।
- अग्रसेन जी का कहना है कि जिस प्रकार हमें मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता है तो हमें ऐसे रहना चाहिए कि हम मृत्यु से पहले ही स्वर्ग पर हैं।
- अग्रसेन का कहना है कि उन्हें किसी पक्षी बलि देने से ज्यादा उन्हें उड़ता हुआ देखना पसंद करते हैं।
अग्रसेन को यही सब पसन्द था।इसलिए उन्होंने क्षत्रिय त्याग दिया था। और महाराज अग्रसेन के इसी राज की वैभवता के कारण उनके पास हो पड़ोसी राज थे वे उसने बहुत जलते थे जिसके कारण वो लोग बार -बार अग्रोहा पर आक्रमण करते रहते थे।लेकिन उनकी बार -बार पराजय होती रहती थी। जिससे उनके राज्य की जनता में तनाव होते रहते थे ।और इसी कारण अग्रसेन जी के सभी कार्यों में बाधा उत्पन्न होती रहती है। और उनकी प्रजा इसी कारणों से भयभीत होती रहती थी।
अग्रसेन का राज काल-
क्या आपको पता है कि अग्रसेन कितने वर्षों तक राज किया है। महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज किया।और महाराज अग्रसेन ने एक नए व्यवस्था को लागू किया। उन्होंने एक वैदिक सनातन आर्य को संस्कृति की जो मूल मान्यताये थी उनको लागू किया ।और राज में गौपालन उधोग, कृषि व्यापार उधोग और विकास के साथ -साथ नैतिक मूल्यों को भी चलाया ।
महाराज अग्रसेन ही एक ऐसे शासक थे जो कर्मयोगी और लोकनायक तो थे ही और वे आदर्श समाजवाद के निर्माता भी थे। वे समाज वाद और गणतंत्र के संस्थापक और अहिंसा के पुजारी और शांति कर दूत भी थे।जिसमे महाराज अग्रवाल ने अपने कर्मो से महानता का पथ दर्शाया था।
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